।।🌳हम नहीं चाहते थे कि 🍁फसाद होते 💜।।
समंदर सारे शराब के होते
तो सोचो कितने फसाद होते। हकीकत हो जाते ख्वाब सारे
तो सोचो कितने फसाद होते।। किसी के दिल में क्या है
ये सिर्फ खुदा जानता है।
दिल अगर बेनकाब होते
तो सोचो कितने फसाद होते।। थी खामोशी फितरत हमारी
तभी तो बरसों निभा गई। अगर हमारे मुंह में भी जवाब होते
तो सोचो कितने फसाद होते।। हम अच्छे थे पर लोगों की
नज़र में हमेशा बुरे ही रहे। कहिं हम सच में खराब होते
तो सोचो कितने फसाद होते।।
कविता बहोत अच्छी है फेसबुक पे देखी बहुत खूबसूरत है
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