स्वच्छ भारत अभियान स्वर्णिम स्वप्न और एक सकारात्मक सोच और वर्तमान राजनीति


  स्वच्छ भारत अभियान आजकल ये एक ऐसा नाम है जो किसी का भी अनसुना नहीं है,
    दोस्तों पहली बात तो ये है कि ये मेरा लिखने का पहला  प्रयास है सो कोई mistake ho jaye to sorry bhai log..
      
  Dosto ye  abhiyan suru Hua to SB citizens ko lga tha ki koi yojna aai h jo des ke hit me h or Modi zee ne kuchh alag ht kr kuchh krne ko kosis ki h. But dhire- dhire jb ise desh ke rajnetao ne apne surkhiyon ka jriya man na suru kr diya to uski puri Hawa nikal gyi. Frnds mai apko btana chahta hu ki ye ek aisa bhaiyan h jo नागरिकों की भावनाओं से जुङा हुआ है, और मैं समझता हूँ कि इस देश के हर नागरिक को अपना कर्तव्य समझना चाहिए कि मेरा भारत महान हमेशा स्वच्छ रहे । और जिस इन्सान की feeling's, देश की स्वच्छता से नहीं जुङी हो, जो इन्सान इसे अपना कर्तव्य नहीं समझता,,,, मैं ये मानता हूँ कि वो इस देश का नागरिक नहीं है।
  
        हाँ मेरे जागरूक नागरिक बन्धु जनों ये एक दम सही बात लिखी है मैंने क्योंकि "स्वच्छ भारत अभियान"
सुनने में किसी  मिलियन डॉलर खुशी से कम नहीं है, लेकिन जब  हम जमीनी स्तर पर देखें तो हमें ये देखने को मिलेगा कि यह अभियान जिसका नाम इतना अच्छा रखा गया है जिसे यदि सब लोग अपनी भावनाओं से लिंक कर लेते तो देश की तस्वीर ही बदल जाती, ये केवल मात्र एक सुर्खियां बटोरने का एक जरिया बन गया है ।

अब सवाल उठता है कि कैसे?????

इसका जवाब आप और हम सब जानते हैं क्या है कि कुछ लोग दो-चार झाडू लेते और कुछ मीडिया वालों को बुलाया जाता है फिर एक ऐसी जगह का चुनाव होता है जहाँ से सुर्खियां ज्यादा से ज्यादा मिले फिर सभी साथ मिलकर फोटो खिंचवाते है और वापस निकल लेते हैं । बस हो गया भारत स्वच्छ, ऐसी हो गयी है वर्तमान राजनीति। जब ये कन्फ़र्म हो जाता है कि सुर्खियां पा ली हैं तो सभी उस महत्वाकांक्षी योजना को भूल जाते हैं ।

दोस्तों एक जमाना था जब गांधी जी अपना बाथरूम खुद साफ करते थे लेकिन कभी भी कैमरे के सामने नहीं आये , क्योंकि  उनको सुर्खियों की जरूरत नहीं थी उनको देश की फिक्र थी, उन्होंने खुद चरखा चलना शुरू किया और पूरी life एक धोती और लकङी के सहारे  गुजार दी । और मैं जहाँ तक समझता हूँ उनके इसी सादा जीवन उच्च विचार वाली छवि के कारण ही पुरा विश्व आज भी एक संभ्रांत शख्सियत के रुप में उनको याद करता है आज भी वो लोगों के दिलों पर राज कर रहे है।

इसलिए मैं मेरे परमादरणीय एवं सम्माननीय नेताओं से ये आग्रह करता हूँ कि सुर्खियां बटोरना छोड़कर स्वच्छ मन से  अति सुन्दर अभियान पर थोडा ध्यान देने की कृपा करें ।    
     सबसे अंतिम बात मैं हम सबको इंगित करते हुए कहना चाहता हूँ कि आप और हम सब मिलकर खुद ही इतने "जागरूक और समझदार" बनें कि इस प्रकार के किसी भी अभियान की जरूरत ही ना पड़े ।मेरे भाइयों मैं यहाँ जागरूक और समझदार दोनों शब्दों का प्रयोग कर रहा हूँ और इनका प्रयोग क्यों कर रहा हूँ ये बताने की मेरे ख्याल से जरूरत नहीं है ।

धन्यवाद ।

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